Sahara Scam : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सहारा इंडिया समूह और उसके संस्थापक सुब्रतो रॉय के परिवार और अधिकारियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। आज इस मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अदालत में चार्जशीट दाखिल की गई है। यह चार्जशीट कोलकाता की पीएमएलए अदालत में पेश की गई है।
सुब्रतो रॉय की पत्नी और बेटों पर चार्जशीट दाखिल :
प्रवर्तन निदेशालय की जांच में यह बात सामने आया है कि करोड़ों निवेशकों को ज़्यादा मिलने की लालच देकर के उनसे 1.74 लाख करोड़ रुपये जमा कराए गए और आरोपियों ने निवेशकों का पैसा वापस नहीं किया। ईडी की चार्जशीट में सुब्रतो रॉय की पत्नी सपना, बेटे सुशांतो रॉय, जेपी वर्मा, अनिल अब्राहम और अन्य मुख्य आरोपी बनाया गया है। अब ईडी ने इस घोटाले में सुब्रतो रॉय के भगोड़े बेटों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने की तैयारी शुरू कर दी है। बता दें कि सुब्रतो रॉय की मौत हो चुकी है।
दायर चार्जशीट में सुब्रतो रॉय की पत्नी सपना रॉय, बेटे सुशांतो रॉय, जेपी वर्मा, अनिल अब्राहम समेत कई अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है। वहीं ईडी ने भगोड़े बेटे के खिलाफ गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी करवाने की तैयारी भी शुरू कर दी है।
सुब्रतो रॉय की ‘भरोसेमंद छवि’ के कारण फंसे लोग :
ईडी की जांच के अनुसार, सहारा इंडिया और सुब्रतो रॉय लंबे समय तक ग्रामीण और शहरी इलाकों में आम लोगों के बीच “सुरक्षित निवेश” का चेहरा बने रहे। गाँव-गाँव तक फैले एजेंटों और “भरोसेमंद छवि” की वजह से लोग अपनी गाढ़ी कमाई सहारा में लगाते रहे। कंपनी दावा करती थी कि निवेश पर तय समय में ज्यादा रिटर्न मिलेगा, लेकिन यही भरोसा बाद में देश के सबसे बड़े वित्तीय घोटाले में तब्दील हो गया।
ज़्यादा रिटर्न और सुरक्षित बचत का दिया था वादा :
सहारा ने छोटे शहरों और गांवों में एजेंट नेटवर्क खड़ा किया था। ये एजेंट लोगों को विश्वास दिलाते थे कि सहारा की योजनाएं सरकार द्वारा मान्य हैं और यहां निवेश पूरी तरह सुरक्षित है। नतीजतन गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार अपनी जमा-पूंजी सहारा में लगाने लगे। किसी ने बेटी की शादी, किसी ने घर बनाने और किसी ने बुढ़ापे के सहारे के लिए पैसा लगाया। धीरे-धीरे यह आंकड़ा करोड़ों निवेशकों तक पहुंच गया।
सुब्रतो रॉय के बेटे हैं फरार :
ईडी ने बताया कि इस नेटवर्क का हिस्सा रहा सुब्रतो रॉय का बेटा लगातार जांच से बच रहा है। अब एजेंसी अदालत से गिरफ्तारी वारंट जारी करने की दिशा में बढ़ रही है। इससे साफ है कि सहारा घोटाला सिर्फ अतीत की कहानी नहीं बल्कि अब भी जारी लड़ाई है।

