New Labour Code : भारत में काम करने वाले हर कर्मचारी के लिए अब सम्मान और सुरक्षा की गारंटी है। 21 नवंबर को लेबर और एम्प्लॉयमेंट मिनिस्टर मनसुख मंडाविया ने यूथ और स्पोर्ट्स मिनिस्टर के साथ मिलकर नए लेबर कोड लागू करने का ऐलान किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “देश में आज से नए लेबर कोड लागू हो गए हैं। ये बदलाव कोई आम बदलाव नहीं हैं, बल्कि कर्मचारियों के हित में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उठाया गया एक बड़ा कदम है।”
मंडाविया ने आगे कहा, “ये सुधार आत्मनिर्भर भारत की दिशा में ज़रूरी कदम हैं और 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को नई गति देंगे।”
ये हैं नए लेबर कोड:
समय पर मिनिमम वेज – हर कर्मचारी को अब समय पर तय मिनिमम वेज मिलेगा, जिससे आर्थिक सुरक्षा बढ़ेगी।
युवाओं के लिए अपॉइंटमेंट लेटर – युवाओं को नौकरी मिलने पर लिखित अपॉइंटमेंट लेटर देना ज़रूरी होगा, जिससे रोज़गार में पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।
महिलाओं के लिए समान अधिकार – महिलाओं को समान वेतन और सम्मान मिलेगा, साथ ही सभी तरह के कामों में समान मौके मिलेंगे।
40 करोड़ कर्मचारियों के लिए सोशल सिक्योरिटी – देश भर के करोड़ों कर्मचारियों को अब PF, इंश्योरेंस और दूसरे सोशल सिक्योरिटी बेनिफिट्स मिलेंगे।
फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी – फिक्स्ड-टर्म कर्मचारी एक साल की सर्विस के बाद ग्रेच्युटी के हकदार होंगे।
40 साल से ज़्यादा उम्र वालों के लिए हेल्थ चेक-अप – 40 साल से ज़्यादा उम्र के कर्मचारियों का हर साल फ्री हेल्थ चेक-अप होगा।
ओवरटाइम के लिए डबल पे – कर्मचारियों को एक्स्ट्रा काम के लिए डबल पे मिलेगा।
खतरनाक सेक्टर में काम करने वालों के लिए पूरी सुरक्षा – खतरनाक काम में लगे कर्मचारियों को 100% हेल्थ प्रोटेक्शन मिलेगा।
इंटरनेशनल जस्टिस – कर्मचारियों को इंटरनेशनल स्टैंडर्ड के हिसाब से सोशल जस्टिस मिलेगा।
मिनिस्ट्री ऑफ़ लेबर ने 21 नवंबर को घोषणा की कि केंद्र सरकार ने चार नए लेबर कोड लागू किए हैं और 29 पुराने कानूनों को आसान बनाया है।
लागू किए गए चार लेबर कोड :
- कोड ऑन वेजेज, 2019
- इंडस्ट्रियल रिलेशन्स कोड, 2020
- कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी, 2020
- ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड, 2020
लेबर कोड की खास बातें:
रोज़गार का लिखा हुआ सबूत: हर कर्मचारी को अपॉइंटमेंट लेटर मिलेगा, जिससे ट्रांसपेरेंसी और नौकरी की सुरक्षा पक्की होगी।
सोशल सिक्योरिटी: PF, ESIC और इंश्योरेंस जैसे फायदे अब सभी कर्मचारियों को मिलेंगे, जिसमें गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर भी शामिल हैं।
मिनिमम वेज: हर कर्मचारी को एक तय मिनिमम वेज और समय पर पेमेंट की गारंटी है।
हेल्थ चेक-अप: 40 साल से ज़्यादा उम्र वालों के लिए सालाना फ्री मेडिकल चेक-अप।
समय पर पेमेंट: कंपनियों को समय पर सैलरी देनी होगी।
महिलाओं की भागीदारी: महिलाओं को सुरक्षा उपायों के साथ नाइट शिफ्ट और सभी तरह के काम करने का अधिकार है।
ESIC कवरेज: पूरे देश में लागू, खतरनाक काम करने वाले वर्करों के लिए ज़रूरी।
आसान कम्प्लायंस: एक ही रजिस्ट्रेशन, एक लाइसेंस और एक रिटर्न ज़रूरी होगा, जिससे कंपनियों पर बोझ कम होगा।
किसे होगा क्या फायदा होगा?
फिक्स्ड-टर्म कर्मचारी (FTE): अब उन्हें परमानेंट कर्मचारियों जैसे ही फायदे मिलेंगे—छुट्टी, मेडिकल और सोशल सिक्योरिटी। ग्रेच्युटी एलिजिबिलिटी सिर्फ़ एक साल बाद मिलेगी।
गिग और प्लेटफ़ॉर्म वर्कर: इन्हें पहली बार डिफाइन किया गया है। उन्हें अब सोशल सिक्योरिटी मिलेगी, और फ़ायदे आधार-लिंक्ड अकाउंट के ज़रिए पोर्टेबल होंगे।
कॉन्ट्रैक्ट वर्कर: हेल्थ बेनिफिट, सोशल सिक्योरिटी, और फ़्री हेल्थ चेक-अप।
महिला वर्कर: बराबर सैलरी, नाइट शिफ़्ट में काम करने का अधिकार, सुरक्षा के उपाय, और शिकायत निवारण कमिटी में रिप्रेजेंटेशन।
युवा वर्कर: अपॉइंटमेंट लेटर और गारंटीड मिनिमम वेज। छुट्टियों में भी सैलरी दी जाएगी।
MSME वर्कर: कैंटीन, पानी, और आराम करने की जगह जैसी सुविधाएँ। समय पर सैलरी और ओवरटाइम के लिए डबल सैलरी।
बीड़ी और सिगार वर्कर: मिनिमम वेज, काम के तय घंटे, ओवरटाइम के लिए डबल सैलरी, और बोनस।
प्लांटेशन वर्कर: सेफ़्टी ट्रेनिंग, प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट, ESI मेडिकल सुविधाएँ, और बच्चों की पढ़ाई।
ऑडियोविज़ुअल और डिजिटल मीडिया वर्कर: डिजिटल ऑडियोविज़ुअल वर्कर, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, डबिंग आर्टिस्ट और स्टंट वर्कर को अब अपॉइंटमेंट लेटर, समय पर सैलरी और ओवरटाइम के लिए डबल पेमेंट समेत सभी फायदे मिलेंगे।
माइन वर्कर: हेल्थ चेक-अप, काम के तय घंटे और सेफ्टी स्टैंडर्ड।
खतरनाक इंडस्ट्री में काम करने वाले कर्मचारी: फ्री हेल्थ चेक-अप, एक सेफ्टी कमिटी और महिलाओं के लिए समान मौके।
टेक्सटाइल वर्कर: माइग्रेंट वर्कर के लिए समान सैलरी और PDS पोर्टेबिलिटी। ओवरटाइम के लिए डबल पेमेंट।
IT और ITES कर्मचारी: हर महीने की 7 तारीख तक सैलरी, समान सैलरी, महिलाओं के लिए नाइट शिफ्ट का ऑप्शन और सोशल सिक्योरिटी।
डॉक वर्कर: अपॉइंटमेंट लेटर, PF, पेंशन, इंश्योरेंस और मेडिकल फायदे।
एक्सपोर्ट सेक्टर के कर्मचारी: ग्रेच्युटी, PF, सोशल सिक्योरिटी, 180 दिन बाद छुट्टी का अधिकार और काम करने के सुरक्षित हालात।
सिस्टम भी होगा आसान :
अब, किसी भी कर्मचारी को तय मिनिमम लिविंग स्टैंडर्ड से कम सैलरी नहीं मिलेगी। इससे सभी को बेसिक इकोनॉमिक सिक्योरिटी मिलेगी। महिलाओं और ट्रांसजेंडर कर्मचारियों समेत सभी को बराबर सैलरी और नौकरी के मौके मिलेंगे। मॉनिटरिंग के तरीके बदल गए हैं। अधिकारी अब सिर्फ़ सज़ा देने के बजाय गाइडेंस और अवेयरनेस पर ध्यान देंगे, जिससे नियमों का पालन आसान हो जाएगा। दो सदस्यों वाले इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल बनाए गए हैं, जिससे झगड़ों का जल्दी और भरोसेमंद हल हो सकेगा।
कंपनियों को अब अलग-अलग फाइलिंग की ज़रूरत नहीं होगी। एक ही रजिस्ट्रेशन, एक लाइसेंस और एक रिटर्न काफ़ी होगा। सभी सेक्टर के लिए एक जैसे सेफ्टी और हेल्थ स्टैंडर्ड तय करने के लिए एक नेशनल OSH बोर्ड बनाया गया है। 500 से ज़्यादा कर्मचारियों वाली कंपनियों में सेफ्टी कमेटियां ज़रूरी होंगी, जिससे ज़्यादा ज़िम्मेदार कामकाज पक्का होगा। छोटी यूनिट्स पर नियमों का बोझ कम किया गया है, लेकिन वर्कर सेफ्टी बनी हुई है।
सरकार ने इन कोड को बनाने में बहुत सलाह-मशविरा किया है और नियम और कानून बनाने में जनता और स्टेकहोल्डर्स को शामिल करती रहेगी। जब तक नए नियम पूरी तरह से लागू नहीं हो जाते, पुराने कानूनों के कुछ हिस्से लागू रहेंगे।

