ITR Filing 2025 : इनकम टैक्स विभाग ने इस बार करदाताओं को आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए ज़्यादा समय दिया है। हालांकि ज्यादातर करदाताओं ने अपना रिटर्न दाखिल कर दिया है। आपको बता दें जल्दी रिटर्न दाखिल करने के कई फ़ायदे हैं। इसके साथ ही करदाताओं को रिटर्न दाखिल करने की नियत तारीख और आखिरी तारीख के बीच के अंतर को भी अच्छी तरह से समझना होगा। आईये टैक्स विशेषज्ञ से जानते हैं इस बारे में :
रिटर्न दाखिल करने के लिए ये दो तारीखें सबसे अहम :
टैक्स विशेषज्ञ जेपी रॉय बताते हैं कि आईटीआर दाखिल करने के लिए दो तारीखें सबसे महत्वपूर्ण होती हैं। इनमे पहली है देय तारीख (Due Date) और दूसरी है आखिरी तारीख (Last Date )। इन दो तारीखों के बाद आप अपना आयकर रिटर्न दाखिल नहीं कर सकते। उन्होंने बताया कि आमतौर पर लोग यही सोचते हैं कि नियत तारीख ही आखिरी तारीख है। इसके बाद रिटर्न दाखिल नहीं किया जा सकता। लेकिन, ऐसा नहीं है। दरअसल देय तारीख के बाद भी आईटीआर दाखिल किया जा सकता है।
देय तारीख के बाद भी दाखिल किया जा सकता है आईटीआर :
इस प्रश्न के जवाब में टैक्स विशषज्ञ जे पी ने बताया कि अगर आप देय तारीख (Due Date) तक अपना आयकर रिटर्न दाखिल नहीं कर पाते हैं, तो आपके पास इसे आखिरी तारीख (Last Date ) तक आईटीआर दाखिल करने का विकल्प बचता है। उन्होंने कहा कि इस बार वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2025 तक थी। जिसे आयकर विभाग ने अब आगे बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 तक कर दिया गया। ऐसे में यदि कोई करदाता इस वर्ष 15 सितंबर 2025 तक आयकर रिटर्न दाखिल नहीं कर पाता है, तो उसे विलंब शुल्क देना होगा।
उन्होंने बताया कि विलंब शुल्क के साथ आईटीआर दाखिल करने का अंतिम तारीख 31 दिसंबर, 2025 है। इसे आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम समय सीमा भी कहा जाता है। यहां यह बता दें कि इस तिथि के बाद रिटर्न दाखिल करना संभव नहीं होगा।
रिटर्न न दाखिल करने के कई नुकसान :
प्रश्न यह है कि यदि कोई करदाता अंतिम तिथि रिटर्न दाखिल नहीं कर पाता है तो क्या होगा? तो आपको बता दें कि यदि कोई व्यक्ति देय तिथि (15 सितंबर, 2025) तक रिटर्न दाखिल नहीं करता है, तो उसे कुछ प्रकार के नुकसान उठाने पड़ सकते हैं। यदि उसे कोई नुकसान हुआ है जिसे वह भविष्य के लाभों से समायोजित करने के लिए आगे ले जाने का हकदार है, तो वह इस लाभ से वंचित हो जाएगा। इसके अलावा, अगर 31 मार्च, 2025 तक पूरा अग्रिम कर नहीं चुकाया जाता है, तो उसे बाद में भुगतान करने पर भी, बची हुई राशि पर ब्याज देना होगा।
अंतिम तिथि तक रिटर्न दाखिल करने पर क्या होगा?
इस प्रश्न पर उन्होंने एक उदाहरण की मदद से बताया कि मान लीजिए मिस्टर के के एक वरिष्ठ नागरिक हैं। उन्हें बैंक ब्याज, शेयरों से लाभांश और म्यूचुअल फंड से आय होती है। चूंकि के के एक वरिष्ठ नागरिक हैं, इसलिए उन्हें अग्रिम कर देने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन, उन्हें 15 सितंबर, 2025 से रिटर्न दाखिल करने तक की अवधि के लिए कर पर ब्याज देना होगा। यदि वह रिफंड पाने के हकदार हैं, तो देय तिथि (Due Date) तक रिटर्न दाखिल न करने के कारण उन्हें उस पर मिलने वाले ब्याज से वंचित होना पड़ सकता है।
विलंब शुल्क कुल कर योग्य आय पर निर्भर करता है:
इस प्रश्न के जवाब में टैक्स विशेषज्ञ जेपी बताया कि यदि मिस्टर के. के. 15 सितंबर, 2025 तक अपना रिटर्न दाखिल नहीं करते हैं, तो उन्हें विलंब शुल्क देना होगा। हालांकि विलंब शुल्क की राशि उनकी आय के आधार पर निर्धारित होगी। ऐसे में इनकम टैक्स विभाग के अनुसार यदि उनकी कर योग्य आय 5 लाख रुपये तक है, तो उन्हें विलंब शुल्क के रूप में 1,000 रुपये देना होगा। जबकि यदि उनकी कर योग्य आय 5 लाख रुपये से अधिक है, तो उन्हें विलंब शुल्क के रूप 5,000 रुपये तक देना होगा।
आईटीआर दाखिल करने के लिए आवश्यक दस्तावेज़ :
1. आधार और पैन कार्ड।
2. बैंक खाते का विवरण।
3. वेतनभोगी व्यक्ति के लिए फॉर्म 16।
4. टीडीएस प्रमाणपत्र।
5. कर कटौती का दावा करने के लिए निवेश प्रमाण।
6. बैंकों और डाकघरों से प्राप्त ब्याज का प्रमाण।
7. छूट का दावा करने के लिए दिए गए दान की रसीद।
8. स्टॉक ट्रेडिंग विवरण।
9. बीमा पॉलिसी रसीद।
10. आधार द्वारा सत्यापित बैंक खाता।
11. बैंक से प्राप्त ब्याज प्रमाणपत्र सहित अन्य निवेश दस्तावेज़।

