CM Nitish Kumar : बिहार की राजनीति में लंबे समय से अहम भूमिका निभा रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पकड़ अब ढीली पड़ती नज़र आ रही है। हालिया सर्वेक्षणों और राजनीतिक माहौल से साफ संकेत मिल रहे हैं कि राज्य में सत्ता विरोधी रुझान मजबूत होते जा रहे हैं। जनता के बीच बदलाव की इच्छा बढ़ती दिख रही है। खासकर युवा, महिलाएं और ग्रामीण मतदाता अब नई संभावनाओं और दूसरे विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं। यह बदलाव आगामी चुनावों में बड़ा असर डाल सकता है।

हालांकि नीतीश कुमार कई बार सत्ता परिवर्तन और राजनीतिक समीकरणों के बीच अपनी स्थिति मज़बूत करते रहे हैं, लेकिन इस बार मतदाताओं का मूड अलग दिशा में जाता दिख रहा है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि यह रुझान चुनाव तक बरकरार रहा तो बिहार की सत्ता समीकरण पूरी तरह बदल सकते हैं।

वहीं बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान से पहले, विभिन्न चुनाव सर्वेक्षण एजेंसियां ​​जनता का मूड जानने में जुटी हैं। इसी कड़ी में, वोटवाइब (VoteVibe) ने बिहार चुनाव को लेकर एक सर्वेक्षण किया है, जिसके आंकड़े चौंकाने वाले हैं।

जानकारी के अनुसार, वोटवाइब द्वारा यह सर्वेक्षण 3 सितंबर से 10 सितंबर के बीच किया गया है और इसमें कुल 5635 नमूने एकत्र किए गए हैं। आपको बता दें कि यह सर्वेक्षण और इसके आंकड़े इसलिए महत्वपूर्ण हो जाते हैं क्योंकि इससे पहले, 17 अगस्त से 1 सितंबर तक बिहार में राहुल गांधी की मतदाता अधिकार यात्रा आयोजित की गई थी। जिसमें तेजस्वी यादव और राहुल गांधी ने बिहार के 22 से ज़्यादा ज़िलों का दौरा किया था और वहाँ यात्रा निकाली थी। ऐसे में, इसके बाद किए गए सर्वेक्षण में कई तथ्य सामने आए हैं, जो महत्वपूर्ण हैं।

क्या चाहती है बिहार की जनता ? 

सबसे पहले, जानिए कि जो नमूने एकत्र किए गए हैं, उनमें विभिन्न वर्गों की भागीदारी क्या है। इसमें पुरुष 52% और महिलाएं 48% हैं। इसमें भी जाति समुदाय के आधार पर अनुसूचित जाति से 20% लोग हैं, जबकि अनुसूचित जनजाति से 2% और अन्य पिछड़ा वर्ग से 44% लोगों ने इसमें भाग लिया है। वहीं, सवर्ण हिंदुओं से 16% बात की गई है। जबकि मुसलमानों ने लगभग 18% भागीदारी की है। इसके अलावा अन्य वर्गों के एक प्रतिशत लोगों से प्रश्न पूछे गए। इसमें शहरी क्षेत्रों से 30% और ग्रामीण आबादी से 70% लोगों से बात की गई है।

शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में सत्ता विरोधी लहर :

सर्वेक्षण में पहला सवाल यह था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के बारे में आप क्या सोचते हैं, क्या सरकार विरोधी रुझान है या समर्थन का रुझान है, आप इसे कैसे देखते हैं? सर्वेक्षण में लोगों ने इस सवाल के जो जवाब दिए, उनके आंकड़े चौंकाने वाले हैं। इस सवाल के जवाब में 48% लोगों ने साफ़ तौर पर माना है कि बिहार में सरकार विरोधी लहर ज़ोरदार है, जबकि 27.1% लोगों ने साफ़ तौर पर कहा है कि लोग सरकार के समर्थन में खड़े हैं। वहीं, लगभग 20.6% लोग ऐसे दिखे। जबकि, न जानने या न कह पाने की बात कहने वालों की संख्या 4.3% है।

 

 

 

इन आँकड़ों पर गहराई से गौर करें तो शहरी वर्ग के 48% लोगों ने साफ़ तौर पर कहा कि हम मौजूदा सरकार के ख़िलाफ़ हैं। वहीं, 31% शहरी लोगों ने सरकार के प्रति अपना समर्थन जताया, जबकि 17% लोग तटस्थ रहे। वहीं, चार प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे नहीं जानते या कह नहीं सकते। इसी तरह, इस सवाल पर ग्रामीण क्षेत्र के 48% लोगों ने सरकार विरोधी, जबकि 25% लोगों ने सरकार के समर्थन में अपनी राय रखी, जबकि 22% लोग तटस्थ रहे। वहीं, 4% लोगों ने अपनी अनभिज्ञता ज़ाहिर की है, यानी उन्होंने कहा कि वे कह नहीं सकते या उन्हें कुछ नहीं पता।

पुरुष और महिलाएँ नीतीश सरकार के खिलाफ : 

ये आँकड़े यह भी दर्शाते हैं कि सत्ता विरोधी रुझान पुरुषों और महिलाओं में समान रूप से व्याप्त है, जो 48-48 प्रतिशत है, जबकि तटस्थ रहने वालों में 20% पुरुष और 22% महिलाएँ हैं। जबकि सत्ता समर्थक रुझान में 29% पुरुष और 25% महिलाएँ शामिल हैं। वहीं, जो कहते हैं कि उन्हें नहीं पता या नहीं पता, वे 4% पुरुष और 5% महिलाएँ हैं।

 

 

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