Bihar News : बिहार के नालंदा से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां कर्ज़ में डूबे एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी, दो बेटियों और एक बेटे के साथ ज़हर खाकर आत्महत्या कर लिया। इस हादसे में परिवार के सभी 5 सदस्यों की मौत हो गई है। घटना पावापुरी थाना क्षेत्र के पावा गाँव की है। इस घटना के बाद पूरे गाँव में मातम पसरा है।
जानकारी के अनुसार, धर्मेंद्र कुमार पिछले छह महीने से पावापुरी जल मंदिर के सामने किराए के मकान में परिवार के साथ रह रहा था। धर्मेंद्र ने जीवन यापन के लिए यहाँ कपड़े की दुकान खोली थी। जिसके लिए उसने 10 प्रतिशत ब्याज दर पर 5 लाख 50 हज़ार रुपये का कर्ज़ लिया था। जिसके एवज में उसे हर महीन 55 हज़ार रुपये चुकाने पड़ते थे। शुरुआती दो महीने तो उन्होंने पैसे दिए, लेकिन आगे पैसे चुकाना मुश्किल होने लगा। ब्याज न चुका पाने के कारण साहूकार लगातार धर्मेंद्र को परेशान कर रहा था और पैसे वापस करने का दबाव बना रहा था। इस कर्ज़ के कारण पूरा परिवार मानसिक तनाव में था। जिसके चलते परिवार ने यह खतरनाक कदम उठाया।
बताया जा रहा है कि धर्मेंद्र ने प्रसाद में सल्फास की गोलियां मिलाकर पूरे परिवार को खिला दीं। इस घटना में दो बेटियों दीपा कुमारी (उम्र 16) और आर्यिका कुमारी (उम्र 14) की शुक्रवार शाम विम्स पावापुरी में मौत हो गई, जबकि शनिवार तड़के महिला सोनी देवी (उम्र 38) और बेटे शिवम कुमार (उम्र 15) की मौत हो गई। जबकि शनिवार रात धर्मेंद्र प्रसाद ने पटना के पीएमसीएच में दम तोड़ दिया।
इस पूरे मामले में परिवार का छोटा बेटा भोला बच गया है। भोला जब घर लौटा तो उसने देखा कि घर के सभी लोग बेहोश पड़े हैं। उसने स्थानीय दुर्गा मंदिर के पुजारी को इसकी सूचना दी। जिसके बाद सभी को इलाज के लिए विम्स पावापुरी में भर्ती कराया गया। इस घटना में सभी पांच लोगों की मौत हो गई है। हालांकि, अब तक चार लोगों की मौत की आधिकारिक पुष्टि हो चुकी है। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
जानकारी के अनुसार, धर्मेंद्र का पालन-पोषण नालंदा जिले के अपने ननिहाल गांव पैठना में हुआ था। धर्मेंद्र की शादी नालंदा जिले के बिंद थाने के बरहोग गांव में उसके ननिहाल की सोनी कुमारी से हुई थी। सुरेंद्र कुमार और रिंकू देवी ने बताया कि 4 साल पहले धर्मेंद्र अपने पूरे परिवार के साथ गांव आया था। जागरण करने के बाद वह पटना लौट गया। पटना में कुछ महीने राजमिस्त्री का काम किया। अपनी जमा-पूंजी और कुछ कर्ज लेकर कपड़े की दुकान खोली, लेकिन इसमें घाटा हुआ और दुकान नहीं चली। इसके बाद वह पावापुरी चला गया, जहां उसने फिर से कपड़े की दुकान खोली।
गांव वालों ने बताया कि जब धर्मेंद्र को लगा कि उसे किसी भी कीमत पर 70 हजार रुपये महीने चाहिए, लेकिन जब यह संभव नहीं हुआ, तो उसने अपनी पत्नी सोनी कुमारी से इस बारे में बात की। सोनी कुमारी ने कहा कि एक बार मंदिर में बैठे बाबा से बात कर लेते हैं, उनसे कुछ कर्ज ले लेते हैं, अगर मामला निपट गया तो ठीक, वरना हम अपनी जान दे देंगे। इसके बाद शुक्रवार की शाम धर्मेंद्र अपनी दो बेटियों, दो बेटों और पत्नी के साथ काली मंदिर पहुंचा। पहले धर्मेंद्र और पूरे परिवार ने पूजा-अर्चना की। प्रसाद चढ़ाया। इसके बाद बाबा से कर्ज मांगा। बाबा के मना करने पर उन्होंने किसी से व्यवस्था करने को कहा, लेकिन बाबा ने फिर मना कर दिया।
शनिवार को मॉडल अस्पताल में पोस्टमार्टम के बाद सोनी और उसके तीनों बच्चों के शव बरहोग गांव स्थित उसके मायके ले जाए गए। जहां से एक साथ गांव से चार चिताएं उठीं। शवों को दाह संस्कार के लिए बाढ़ के उमानाथ घाट ले जाया गया। जहां छोटे बेटे सत्यम ने अपनी मां, भाई और दो बहनों को मुखाग्नि दी। उधर, नालंदा के एसपी भरत सोनी ने शनिवार को घटनास्थल का निरीक्षण किया। उन्होंने एक एसआईटी टीम गठित कर पुलिस अधिकारी को सभी संभावित बिंदुओं पर गहन जांच करने के आवश्यक निर्देश दिए।

