Bihar Land Registration : बिहार सरकार ने ऑनलाइन सेवाओं को आसान और ज़्यादा भरोसेमंद बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। इसके बाद, राज्य में लोगों को ज़मीन रजिस्ट्रेशन या शादी रजिस्ट्रेशन के लिए रजिस्ट्रेशन ऑफिस नहीं जाना पड़ेगा। ई-रजिस्ट्रेशन (ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन) प्रक्रिया को हर गाँव तक पहुँचाने के लिए एक डिजिटल टीम बनाई जा रही है।
यह पहल निषेध, उत्पाद शुल्क और पंजीकरण विभाग और बिहार ग्रामीण आजीविका संवर्धन सोसायटी (जीविका) के संयुक्त प्रयास से शुरू की जा रही है, जिससे ग्रामीणों को उनके अपने गाँवों में ही पंजीकरण सेवाएँ मिल सकेंगी। इस योजना के तहत, जीविका महिलाओं को गाँवों में एक नई ज़िम्मेदारी दी गई है। फिलहाल, यह योजना एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू की जाएगी, और अगर यह सफल होती है, तो इसे पूरे राज्य में बढ़ाया जाएगा।
घर घर जाएंगी डिजिटल दीदियां :
इस योजना के तहत, पढ़ी-लिखी और प्रशिक्षित जीविका महिलाएँ हर गाँव में न सिर्फ़ ई-रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी करने जाएँगी, बल्कि लोगों को व्यावहारिक जागरूकता भी देंगी। इस काम में शामिल महिलाओं को ‘डिजिटल दीदी कम सक्षम दीदी’ (डिजिटल बहन कम सशक्त बहन) के नाम से जाना जाएगा। इन महिलाओं का मुख्य उद्देश्य ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को आसान और पारदर्शी बनाना होगा, जिससे ग्रामीणों को इसकी जटिलताओं से मुक्ति मिल सके।
ट्रेनिंग से लेकर तकनीकी सुविधाओं तक की पूरी व्यवस्था:
इस योजना के लिए चुनी गई जीविका महिलाओं को विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी। इसमें कंप्यूटर चलाने, इंटरनेट इस्तेमाल करने, ऑनलाइन फ़ॉर्म भरने, ज़रूरी दस्तावेज़ अपलोड करने और ई-रजिस्ट्रेशन फ़ीस जमा करने की प्रक्रिया की ट्रेनिंग शामिल होगी। काम सुचारू रूप से चले, इसके लिए उन्हें कंप्यूटर, प्रिंटर और वाई-फ़ाई जैसी तकनीकी सुविधाएँ भी दी जाएँगी।
पढ़ी-लिखी महिलाओं को दी जाएगी प्राथमिकता :
ग्रामीण विकास विभाग ने साफ़ किया है कि मैट्रिक और इंटरमीडिएट परीक्षा पास करने वाली, या जिनके पास कंप्यूटर डिप्लोमा या अन्य तकनीकी शिक्षा है, ऐसी जीविका महिलाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। इस काम के लिए एक हज़ार से ज़्यादा महिलाओं को चुनने की योजना है। ये महिलाएँ सिर्फ़ ज़मीन ई-रजिस्ट्रेशन तक ही सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि ग्रामीणों को शादी रजिस्ट्रेशन और गोद लेने के दस्तावेज़ रजिस्ट्रेशन जैसी अन्य महत्वपूर्ण सेवाओं के बारे में भी जानकारी देंगी। दीदी अधिकार केंद्र सहायता देंगे
अभी, बिहार में लगभग 1.5 करोड़ जीविका दीदी (जीविका आजीविका कार्यक्रम से जुड़ी महिलाएं) अलग-अलग गतिविधियों में शामिल हैं। जीविका के ऑफिस हर ब्लॉक में काम करते हैं, जहां सैकड़ों महिलाएं काम करती हैं। इसके अलावा, ग्रामीण इलाकों में 270 दीदी अधिकार केंद्र पहले से ही काम कर रहे हैं, जहां निवास प्रमाण पत्र जैसे डॉक्यूमेंट जारी किए जाते हैं। अब, इन केंद्रों और इन महिलाओं के नेटवर्क के ज़रिए गांवों तक ई-रजिस्ट्रेशन सेवाएं पहुंचाई जाएंगी।
गांव वालों को सीधा फायदा होगा :
इस पहल से गांव वालों के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को समझना आसान हो जाएगा और बिचौलियों पर उनकी निर्भरता कम होगी। इससे समय और पैसा दोनों बचेंगे, जिससे प्रक्रिया तेज़ और ज़्यादा पारदर्शी होगी। डिजिटल इंडिया की दिशा में यह कदम न सिर्फ एक प्रशासनिक सुधार है, बल्कि इसे ग्रामीण महिलाओं को टेक्नोलॉजी के ज़रिए सशक्त बनाने की दिशा में एक मज़बूत पहल भी माना जा रहा है।


