Bihar Land Record : बिहार में लाखों जमाबंदी में खाता-खेसरा, सीमा और भूखंड के क्षेत्रफल की जानकारी गलत या अधूरी है। आज भी ज्यादातर ज़मीनें पूर्वजों के नाम पर ही हैं, जो मौखिक बंटवारे के कारण वर्तमान मालिकों के नाम अपडेट नहीं हो पा रहे हैं। इन समस्याओं ने भूमि विवादों को जन्म दिया है। अब भूमि सर्वेक्षण अभियान के दौरान, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग इन चुनौतियों से निपटने की योजना पर आगे बढ़ रहा है और बिहार सरकार ने इसके समाधान की पहल शुरू की है।
दरअसल पूरे राज्य में राजस्व विभाग के द्वारा राजस्व महाअभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत राजस्व विभाग की टीमें घर-घर जाकर जमाबंदी की नकल और आवेदन पत्र वितरित करेंगी। इसके लिए हर गाँव में शिविर लगाकर सभी आवेदन और आवश्यक दस्तावेज़ जमा किए जाएँगे। इस महाअभियान को सफल बनाने के लिए कई सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों ने भी अपना सहयोग दिया है।
राजस्व महाअभियान का उद्देश्य :
राजस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह के अनुसार जमाबंदी में सुधार के लिए 16 अगस्त से राज्य के बिहार के 45,000 राजस्व ग्रामों में राजस्व महाअभियान शुरू किया गया है, जो 20 सितंबर तक चलेगी। इस महाअभियान में राजस्व विभाग की टीमें घर-घर जाकर 4.5 करोड़ ऑनलाइन जमाबंदी की फॉर्म वितरित करेंगी और जमाबंदी में सुधार के लिए आवेदन स्वीकार करेंगी।
इसके लिए पंचायत स्तर पर एक विशेष शिविर लगाए जाएंगे। इस विशेष शिविर में लोग अपने अपने जमीन के जमाबंदी का नामांतरण, बंटवारा और उत्तराधिकार हस्तांतरण आदि कार्य करा सकेंगे।
घर-घर पहुँचेगी राजस्व विभाग की टीम :
इस अभियान की खासियत यह है कि लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। हर राजस्व गाँव में टीमें मुद्रित जमाबंदी वितरित करेंगी, जिसमें त्रुटियों को चिह्नित करने की सुविधा होगी। हल्का स्तर पर दो शिविर लगाए जाएँगे जहाँ राजस्व कर्मचारी, अमीन और पंचायत प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे। आवेदनों की प्रारंभिक प्रविष्टि के बाद, ओटीपी के माध्यम से पंजीकरण किया जाएगा और अंतिम निष्पादन अंचल कार्यालयों में किया जाएगा।
बिहार में राजस्व महाअभियान का उद्देश्य भूमि संबंधी मामलों का त्वरित निपटारा, दस्तावेजों का अद्यतन एवं डिजिटलीकरण करना है। इस अभियान के अंतर्गत निम्नलिखित कार्य किए जाएँगे:
- डिजिटल जमाबंदी में त्रुटियों का सुधार: जमाबंदी में नाम, खाता, खेसरा, क्षेत्रफल, लगान आदि की त्रुटियों का सुधार किया जाएगा।
- छूटी हुई जमाबंदी को ऑनलाइन करना: जो जमाबंदी अभी तक ऑनलाइन नहीं हुई हैं, उन्हें इस अभियान में शामिल किया जाएगा।
- उत्तराधिकार हस्तांतरण: संयुक्त संपत्तियों के बंटवारे एवं उत्तराधिकार के मामलों में हस्तांतरण हेतु आवेदन लिए जाएँगे।
- बंटवारा हस्तांतरण: मौखिक बंटवारे के बाद संयुक्त जमाबंदी को अलग किया जाएगा।
वंशावली एवं मृत्यु प्रमाण पत्र की आसान प्रक्रिया :
पूर्वजों के नाम से वंशजों को भूमि हस्तांतरित करने के लिए सरपंच द्वारा प्रमाणित वंशावली मान्य होगी। पुराने मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा सत्यापन पर्याप्त होगा, जिसके लिए शीघ्र ही सरल प्रक्रिया का परिपत्र जारी किया जाएगा। यह कदम उन परिवारों के लिए राहत भरा होगा जिनके पूर्वजों का मृत्यु प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं है।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए विशेष योजना:
अभियान के दौरान, बाद में 800 बाढ़ प्रभावित गाँवों (लगभग 10% पंचायतें) में शिविर लगाए जाएँगे। दीपक कुमार सिंह ने बताया कि बाढ़ की स्थिति सामान्य होने पर इन क्षेत्रों में अभियान का विस्तार किया जाएगा। माइक्रो प्लान में बाढ़ संभावित क्षेत्रों को ध्यान में रखा गया है, ताकि कोई भी लाभ से वंचित न रहे।
जनप्रतिनिधियों की जागरूकता और भूमिका:
अभियान की सफलता के लिए पंचायत प्रतिनिधियों को ज़िम्मेदारी दी गई है। 15 अगस्त को ग्राम सभाओं में लोगों को जागरूक किया जाएगा। माइक, पैम्फलेट और सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। 12 अगस्त तक सभी 8,000 पंचायतों के लिए एक माइक्रो प्लान तैयार हो जाएगा, जिसमें शिविरों की तिथियाँ और कर्मचारियों की जानकारी होगी।
चुनौतियाँ और समाधान की उम्मीद:
अभियान में कर्मचारियों की हड़ताल जैसी चुनौतियाँ भी हैं, लेकिन दीपक कुमार सिंह का दावा है कि इस अभियान से भूमि विवाद कम होंगे। डिजिटल और पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से लोगों को अपनी ज़मीन के सही दस्तावेज़ मिलेंगे, जिससे बंटवारे और मालिकाना हक़ की समस्याओं का समाधान होगा। यह बिहार की राजस्व व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

