Bihar Election 2025 : बिहार में विपक्षी महागठबंधन का कुनबा बढ़ रहा है। इस मामले में महागठबंधन ने NDA को पछाड़ दिया है। 2020 में 5 दलों ने महागठबंधन के बैनर तले चुनाव लड़ा था। 2024 के लोकसभा चुनाव में मुकेश सहनी की VIP भी महागठबंधन में शामिल हो गई। 2025 का विधानसभा चुनाव भी महागठबंधन के बैनर तले 8 दलों के साथ लड़ने पर कोई आश्चर्य नहीं होगा। इसलिए, RJD, कांग्रेस, CPI (ML), CPM, CPI जैसे पुराने सहयोगियों के अलावा, अब मुकेश सहनी की VIP, पशुपति कुमार पारस की RLJP और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। वहीं, आईपी गुप्ता के नेतृत्व वाली एक और पार्टी – भारतीय इंकलाब पार्टी (IIP) भी महागठबंधन के साथ बातचीत के अंतिम चरण में है।
एनडीए में सिर्फ़ 5, जबकि महागठबंधन में 7 दल:
खबर है कि 15 सितंबर को होने वाली महागठबंधन की बैठक में भारतीय इंकलाब पार्टी को साथ लाने पर भी अंतिम मुहर लग सकती है। अगर ऐसा होता है, तो बिहार में महागठबंधन सबसे ज़्यादा दलों वाला गठबंधन बन जाएगा। क्योंकि इसमें दलों की संख्या 8 तक पहुँच जाएगी। फ़िलहाल महागठबंधन में 7 दल शामिल हैं, जो आईपी गुप्ता के शामिल होने के बाद 8 हो जाएँगे। जबकि एनडीए में फ़िलहाल सिर्फ़ 5 दल हैं।
महागठबंधन में शामिल दलों की संख्या के लिहाज़ से महागठबंधन एनडीए पर भारी पड़ेगा। फ़िलहाल एनडीए में बीजेपी और जेडीयू के अलावा जीतन राम मांझी की पार्टी हम (HAM), उपेंद्र कुशवाहा की वीआईपी और चिराग पासवान की एलजेपी (आर) पार्टी शामिल है।
हालांकि मुकेश सहनी के पाला बदलने की ख़बरें भी समय-समय पर आती रहती हैं, लेकिन अभी तक उनके एनडीए में शामिल होने के कोई ठोस संकेत नहीं मिले हैं। बता दें कि विधानसभा में संख्याबल के लिहाज से महागठबंधन 10-12 विधायकों के कारण पिछड़ रहा था। लेकिन, महागठबंधन अपनी ताकत से वाकिफ है। उसे पता है कि एनडीए से महज 11 हजार वोट कम होने के कारण उसे बहुमत से दूर रहना पड़ा। 2020 के चुनाव में महागठबंधन की 5 पार्टियों का मुकाबला एनडीए की 5 पार्टियों से था। लेकिन इस बार महागठबंधन में 8 पार्टियां शामिल हैं।

महागठबंधन की रणनीति:
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, इस बार महागठबंधन को एनडीए से मुकाबला करने के लिए 11 हजार वोटों का इंतजाम करना होगा। महागठबंधन ने उन सीटों पर पूरी जीत की रणनीति बनाई है, जहां वह कम अंतर से हारी थी। इसी रणनीति के तहत जातिगत आधार पर बने दलों को महागठबंधन में शामिल किया जा रहा है। मुकेश सहनी 2024 के लोकसभा चुनाव से ही महागठबंधन में हैं, जबकि चिराग पासवान के चाचा पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस को दलित वोटों के लिए महागठबंधन में शामिल किया गया है।
आईपी गुप्ता के भी शामिल होने से उनके साथ एकजुट तांती-तत्व जातियों के वोट महागठबंधन के पाले में आ सकते हैं। गुप्ता पहले कांग्रेस में थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पान समाज के लोगों को मिलने वाला आरक्षण खत्म होने पर उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद आईपी गुप्ता ने पटना के गांधी मैदान में ऐतिहासिक भीड़ जुटाकर इंडिया इंकलाब पार्टी के गठन का ऐलान किया था। भीड़ देखकर लोगों को पहली बार पान समाज की ताकत का एहसास हुआ।
पार्टियाँ बढ़ीं, सीटों का बंटवारा कैसे होगा?
महागठबंधन ने अपना कुनबा तो बढ़ा लिया है, लेकिन इसका फायदा महागठबंधन को जरूर मिलना चाहिए। लेकिन, पिछली बार 5 पार्टियों में बंटी सीटों को इस बार 8 पार्टियों में बांटना होगा। पिछली बार राजद ने 144, कांग्रेस ने 70 और तीनों वामपंथी दलों ने 29 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस बार राजद और कांग्रेस नए सहयोगियों के लिए अपनी सीटें कम करने पर सहमत हो गए हैं। कांग्रेस 15 सीटें कम कर सकती है। महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी राजद की भी 10-15 सीटें कम हो सकती हैं। इस तरह जो 30-35 सीटें बढ़ेंगी, उनमें सहयोगी दलों को संतुष्ट करने की कोशिश होगी। इसके लिए जो मोटा खाका तैयार किया गया है, उसमें वाम दलों की सीटें पिछली बार जितनी यानी 29 ही रहेंगी, लेकिन भाकपा (माले) की सीटें पिछली बार की 19 की बजाय इस बार 25 हो सकती हैं। झामुमो को 2 सीटें, मुकेश सहनी की वीआईपी को 15 से 18 और पशुपति कुमार पारस की रालोसपा को 2-3 सीटें देने का शुरुआती फॉर्मूला तैयार किया गया है। अगर आईपी गुप्ता की आईआईपी साथ आती है, तो उसे भी 5-7 सीटों से ज़्यादा नहीं मिलेंगी।

सबको चाहिए ज्यादा सीट :
महागठबंधन में कांग्रेस 70 सीटों की मांग करती रही है। कांग्रेस की दूसरी मांग जीतने लायक सीटें रही हैं। पिछली बार 70 सीटों पर लड़कर सिर्फ़ 19 सीटें जीतने वाली कांग्रेस का कहना है कि उसे तब चुन-चुनकर वो सीटें दी गईं जहाँ से महागठबंधन के उम्मीदवार कभी जीते ही नहीं। राजद और कांग्रेस ने अपनी सीटें बढ़ाने की शर्त नहीं रखी है, लेकिन वे सीटें कम करने को भी तैयार नहीं हैं। दोनों दल गठबंधन की एकता बनाए रखने के लिए सीटें कम करने पर राज़ी हो गए हैं। मुकेश सहनी 60 सीटें और अपनी पार्टी के लिए डिप्टी सीएम का पद मांग रहे हैं। भाकपा (माले) ने 45 सीटों की माँग की है।
एनडीए को अपने काम से उम्मीद :
एनडीए की ताकत डबल इंजन वाली सरकार है। एनडीए को बिहार के विकास के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा किए गए कामों का मीठा फल मिलने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार बिहार आ रहे हैं। हर बार वे बिहार को कुछ न कुछ देकर जाते हैं। सड़क, बिजली और पानी के अलावा, राज्य सरकार का ध्यान शिक्षा, स्वास्थ्य और राज्य के सर्वांगीण विकास पर है। केंद्र और राज्य की डबल इंजन वाली सरकार ने तरह-तरह की घोषणाएँ शुरू कर दी हैं। नीतीश कुमार का राज्य की जनता के लिए अलग फंडा है, जबकि केंद्र सरकार का अपना अलग तरीका है। एनडीए का दावा है कि चुनाव में विपक्ष के सारे हथकंडे नाकाम होंगे और बिहार में फिर से एनडीए की सरकार बनेगी।
(Input : news18.com)

