Navratri Navami 2025 : नवरात्रि की नवमी तिथि कब है? शारदीय नवरात्रि में नवमी तिथि का विशेष महत्व होता है। इस दिन हवन और कन्या पूजन किया जाता है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 9 दिनों की बजाय 10 दिनों तक चलती है। तिथि में वृद्धि से असमंजस की स्थिति बन गई है। पंचांग के अनुसार, नवमी तिथि 30 सितंबर को शाम 6:06 बजे शुरू होकर 1 अक्टूबर की शाम को समाप्त होगी। इसलिए उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए, शारदीय नवरात्रि नवमी 1 अक्टूबर को मान्य होगी। आइए पूजा के शुभ मुहूर्त और हवन सामग्री के बारे में जानें:
पूजा का शुभ मुहूर्त जानें:
- ब्रह्म मुहूर्त – प्रातः 4:37 से प्रातः 5:26 तक
- अभिजीत मुहूर्त – कोई नहीं
- विजय मुहूर्त – दोपहर 2:09 से दोपहर 2:57 तक
- गोधुली मुहूर्त – शाम 6:07 से शाम 6:31 तक
- अमृत काल – 2 अक्टूबर, प्रातः 2:31 से 2 अक्टूबर, प्रातः 4:12 तक
- निशिता मुहूर्त – रात्रि 11:46 से 2 अक्टूबर, रात्रि 12:35 तक
- रवि योग – प्रातः 8:06 से प्रातः 6:15 तक, 2 अक्टूबर
नवरात्रि प्रातः हवन मुहूर्त :
1 अक्टूबर, प्रातः 6:14 से सायं 6:07 तक
अवधि – 11 घंटे 53 मिनट
हवन सामग्री: हवन कुंड, गाय का घी, गंगाजल, पंचामृत, पीपल, चंदन का लेप, रक्षा सूत्र या कलावा, सूखे आम और नीम की लकड़ी, अश्वगंधा, ब्राह्मी, पलाश, गुग्गुल, मुलेठी और बरगद की छाल, अक्षत, अगरबत्ती, धूप, दीप, जौ, रोली, जटावाला नारियल, सूखा नारियल, इलायची, लौंग, कपूर, माचिस, लोबान, पान, सुपारी, शहद, चीनी, फूल, माला, पाँच प्रकार के फल, काले तिल, मिठाई, हवन सामग्री, हवन पुस्तक, बेल, आदि।
कन्या पूजन का महत्व: कन्या पूजन के बिना नवरात्रि पूजन अधूरा माना जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों में किसी भी दिन कन्या पूजन किया जा सकता है। अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दस वर्ष तक की कन्याओं का पूजन अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। कन्याओं के साथ एक बालक की भी भैरों बाबा के रूप में पूजा की जाती है। नौ कन्याओं और एक बालक का पूजन शुभ माना जाता है।
( Disclaimer : हम यह दावा नहीं करते कि इस लेख में दी गई जानकारी पूर्णतः सत्य या सटीक है। अधिक विस्तृत जानकारी के लिए कृपया संबंधित क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से परामर्श लें )

