Aadhaar Card : चुनाव आयोग के द्वारा आधार कार्ड को 12वें पहचान पत्र के रूप में मान्यता मिलने के बाद अब आधार कार्ड केवल देश के नागरिकों की पहचान संख्या नहीं रहेगा, बल्कि अब यह किंगमेकर की भूमिका भी निभाने वाला है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद, अब मतदाता अपनी पहचान के लिए आधार कार्ड का इस्तेमाल कर रह रहे हैं। ऐसे में वोटर कार्ड से आधार कार्ड से जुड़ने के बाद वोटिंग के दौरान मतदाता पहचान प्रक्रिया आसान होगी और फर्जी मतदान रोकने में आसानी होगी।
आधार कार्ड बना 12वां पहचान पत्र :
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चुनाव आयोग ने बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निर्देश दिया है कि वे सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन करते हुए मतदाताओं की पहचान स्थापित करने के लिए आधार कार्ड को एक अतिरिक्त पहचान पत्र के रूप में स्वीकार करें। मंगलवार को बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को भेजे गए एक पत्र में, चुनाव आयोग ने कहा कि “अब मतदाता पहचान के लिए पहले से मान्य 11 दस्तावेजों के अलावा आधार कार्ड को भी स्वीकार किया जाना चाहिए…”
मतदाता इसे अपनी पहचान के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं:
आधार (वित्तीय एवं अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का वितरण) अधिनियम की धारा 9 के अनुसार, चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि आधार कार्ड को “पहचान प्रमाण” के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए, न कि “नागरिकता प्रमाण” के रूप में। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23(4) के अनुसार, आधार कार्ड पहले से ही पहचान के लिए मान्य दस्तावेजों में शामिल है। यानी मतदाता अपनी पहचान के लिए आधार कार्ड का आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं।
आधार स्वीकार न करने पर होगी कार्रवाई:
चुनाव आयोग ने यह भी चेतावनी दी है कि “अगर कोई अधिकारी इस निर्देश के बावजूद आधार कार्ड स्वीकार करने से इनकार करता है या नियमों का पालन नहीं करता है, तो इसे बेहद गंभीरता से लिया जाएगा।” सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को निर्देश दिया कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण अभियान में आधार कार्ड को मतदाताओं के अनिवार्य पहचान पत्र के रूप में शामिल किया जाए। कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि इस निर्देश पर 9 सितंबर तक अमल किया जाएगा।

