Bihar Domicile Policy : बिहार में इन दिनों डोमिसाइल (स्थानीय निवासी) नीति की खूब चर्चा हो रही है। राज्य के छात्र शिक्षक भर्ती सहित अन्य सरकारी नौकरी में इसको लागू करने की लगातार मांग कर रहे थे। हाल ही में छात्रों ने इसको लेकर प्रदर्शन भी किया था। जिसको अब नीतीश सरकार ने मान लिया है। मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इसको मंजूरी मिल गई है।
जिसके बाद राज्य में डोमिसाइल नीति लागू हो गया। इसका सीधा फायदा बिहार के उन युवाओं को मिलेगा जिन्होंने राज्य में ही पढ़ाई की है और यहीं नौकरी करना चाहते हैं। वहीं डोमिसाइल नीति लागू होने के बाद से लोग इस नियम के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं। तो आइए आसान भाषा में समझते हैं कि इसका लाभ कैसे और किसे मिलेगा। इसकी शर्तें क्या हैं?
क्या है डोमिसाइल नीति (Bihar Domicile Policy) ?
डोमिसाइल नीति का मतलब है – राज्य में रहने वाले लोगों को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता देना है। इस नियम के अनुसार, अगर किसी छात्र ने बिहार के किसी स्कूल या कॉलेज से मैट्रिक (10वीं) या इंटरमीडिएट (12वीं) पास की है, तो उसे शिक्षक की नौकरी में प्राथमिकता मिलेगा।
नए नियम को क्या नाम दिया गया है?
सरकार ने इस नियम को “बिहार राज्य विद्यालय शिक्षक (नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनात्मक कार्रवाई एवं सेवा शर्तें) संशोधन नियमावली, 2025” नाम दिया है। यह नियम पूरे बिहार में लागू होगा और राजपत्र में प्रकाशित होने के बाद इसे मान्यता मिल जाएगी।
डोमिसाइल नीति लागू करने का उद्देश्य :
बिहार में डोमिसाइल नीति लागू करने के फैसले के पीछे सरकार का उद्देश्य राज्य के शिक्षित युवाओं को नौकरियों में वरीयता देना है, ताकि उन्हें बाहर न जाना पड़े और वे अपने राज्य की सेवा कर सकें।
केवल 40% सीटें ही डोमिसाइल के लिए आरक्षित :
नई अधिवास नीति (डोमिसाइल) के अनुसार, शिक्षक भर्ती की कुल रिक्त सीटों में से 40 प्रतिशत सीटें उन छात्रों के लिए आरक्षित होंगी जिन्होंने बिहार के किसी स्कूल या कॉलेज से 10वीं या 12वीं पास की है। यानी सभी सीटें बिहार के लोगों के लिए आरक्षित नहीं होंगी।
बिहार कैबिनेट की बैठक के बाद अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ में बताया कि राज्य के सरकारी नौकरी में पिछड़ों और एससी -एसटी के लिए 50 प्रतिशत सीट आरक्षित है, वहीं 10 प्रतिशत सीट आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग (EWS) के लिए आरक्षित है। इसके बाद बची 40 प्रतिशत अनारक्षित (सामान्य) सीटों में से 35 प्रतिशत सीट बिहार के महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। जिसके बाद 65 प्रतिशत सामान्य सीटें बचती हैं। इस 65 प्रतिशत सामान्य सीट पर कोई भी योग्य उम्मीदवार आवेदन कर सकता है। चाहे वह बिहार का हो या राज्य से बाहर का।
अब इस आरक्षण नियमावली में संशोधन कर बचे हुए 65 प्रतिशत सामान्य सीटों (अनारक्षित) में से 40 प्रतिशत सीट डोमिसाइल नीति के तहत आरक्षित कर दी गयी। इस नए संशोधन के बाद अब इन आरक्षित सीटों पर केवल वे ही छात्र आवेदन कर सकते हैं जिन्होंने बिहार राज्य के किसी बोर्ड या मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थान से 10वीं और 12 वीं की परीक्षाएं पास की हो।
जानें शेष 60% सीटों का क्या होगा?
नए नियमावली के अनुसार शेष बचे 60 प्रतिशत सामान्य सीटों पर कोई भी योग्य उम्मीदवार आवेदन कर सकता है। चाहे वह बिहार का हो या किसी अन्य राज्य का। इसके अलावे अगर 40 प्रतिशत डोमिसाइल कोटे के लिए बिहार के छात्रों की संख्या पूरी नहीं होती है, तो शेष बची सीटें 60 प्रतिशत सामान्य भाग में शामिल कर ली जाएगी।
कब से लागू होगा डोमिसाइल ?
यह नई अधिवास नीति (डोमिसाइल) टीआरई-4 परीक्षा (2025) से लागू होगी। यानी बिहार के छात्रों को यह लाभ 2025 में होने वाली शिक्षक भर्ती परीक्षा से ही मिलना शुरू हो जाएगा।

