8th Pay Commission : केंद्र सरकार के कर्मचारी और पेंशनभोगी लंबे समय से 8वें वेतन आयोग का इंतज़ार कर रहे हैं। अब सरकार ने इस आयोग के गठन को मंज़ूरी दे दी है। इसका उद्देश्य कर्मचारियों के वेतन ढांचे और पेंशन लाभों की समीक्षा करना है। हाल ही में संसद में सरकार ने स्पष्ट किया कि वेतन में बदलाव की प्रक्रिया तभी शुरू होगी जब आयोग की सिफ़ारिशें औपचारिक रूप से स्वीकार कर ली जाएंगी।

8वां वेतन आयोग कब लागू हो सकता है?

हालांकि सरकार ने अभी तक कोई निश्चित तारीख़ घोषित नहीं की है, लेकिन अनुमान है कि इसे 1 जनवरी, 2026 से लागू किया जा सकता है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इसमें थोड़ी देरी हो सकती है और यह 1 अप्रैल, 2026 से शुरू हो सकता है। तारीख़ चाहे जो भी हो, कर्मचारियों की नज़र इस बात पर टिकी है कि इसमें कितना फिटमेंट फ़ैक्टर तय होगा, क्योंकि यही उनके नए वेतन का आधार बनेगा।

क्या है फिटमेंट फ़ैक्टर ?

फिटमेंट फैक्टर एक ऐसा नंबर है, जिसके आधार पर सरकारी कर्मचारियों की सैलरी तय होती है। नियमानुसार मौजूदा बेसिक सैलरी को फिटमेंट फैक्टर से गुणा करने पर जो नंबर आती है वहीं नई बेसिक सैलरी होता है।

अलग-अलग वेतन आयोगों का फिटमेंट फ़ैक्टरभी अलग होता है। इसे ऐसे समझिए मान लीजिए कि सातवें वेतन आयोग में फिटमेंट फ़ैक्टर 2.57 था। जिसकी वजह से केंद्रीय कर्मचारियों का मिनिमम बेसिक सैलरी 7,000 रुपये से बढ़कर 18,000 रुपये प्रति माह हो गयी थी। इस हिसाब से इस बार अगर फिटमेंट फ़ैक्टर 2.86 तक रखा जाता है तो कर्मचारियों का न्यूनतम मूल वेतन 51,000 रुपये से ज्यादा हो सकता है। जिसके बाद कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में तीन गुणा तक इजाफा हो सकता है।

 

कितना हो सकता है फिटमेंट फ़ैक्टर ?

इस पर विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है। कुछ विशेषज्ञ इसे 1.83 से 2.46 के बीच मान रहे हैं, जबकि कुछ का अनुमान 2.5 से 2.86 के बीच है। यह अंतर भले ही मामूली लगे, लेकिन सरकारी वेतन पर इसका असर हज़ारों से लेकर लाखों रुपये तक हो सकता है। यही वजह है कि कर्मचारियों में इस आंकड़े को लेकर बेहद उत्सुकता है।

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