Bihar News : बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दरभंगा जिले की राजनीति में बड़ा बदलाव आया है। विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को बड़ा झटका लगा है। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और दरभंगा शहर के प्रभावशाली नेता बद्री पूर्वे ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपना इस्तीफा साझा करते हुए वीआईपी नेतृत्व पर धोखाधड़ी और मनमानी के गंभीर आरोप लगाए हैं।
बद्री पूर्वे का कहना है कि दरभंगा शहर विधानसभा सीट से उनकी उम्मीदवारी पहले से ही पक्की थी। वह लंबे समय से इलाके में सक्रिय थे और अपनी पूरी तैयारी कर चुके थे। हालाँकि, आखिरी समय में पार्टी ने टिकट बदलकर उमेश सहनी को दे दिया। इससे वह नाराज़ हो गए और पार्टी पर विश्वासघात का आरोप लगाते हुए इस्तीफा देने का फैसला किया।
बद्री पूर्वे ने बुधवार को सोशल मीडिया पर एक विस्तृत पोस्ट में अपने इस्तीफे की पुष्टि की। उन्होंने लिखा कि वह अब वीआईपी के किसी भी कार्यक्रम या संगठनात्मक गतिविधि का हिस्सा नहीं होंगे। उनके अनुसार, पार्टी ने उन्हें गुमराह किया और सार्वजनिक रूप से अपमानित किया। उन्होंने कहा, “अगर मुझे पहले बताया गया होता कि मुझे टिकट नहीं मिलेगा, तो मैं कोई और रास्ता चुनता, लेकिन मुझे जानबूझकर धोखा दिया गया।”
बद्री पूर्वे ने वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी और कुछ अन्य नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी के भीतर झूठ, साजिश और पैसों का लेन-देन चल रहा था। उनके अनुसार, कुछ नेताओं ने पैसे लेकर उम्मीदवारों को रोकने और फंसाने की कोशिश की। उन्होंने दावा किया कि उन्हें पद और ज़िम्मेदारियाँ देने का वादा भी किया गया था, लेकिन वे सभी झूठे साबित हुए।
बद्री पूर्वे ने यह भी दावा किया कि राजद नेता तेजस्वी यादव ने उनकी उम्मीदवारी का समर्थन किया था, लेकिन इसके बावजूद पार्टी ने उमेश सहनी को टिकट दे दिया। उन्होंने कहा कि पूरे संगठन और स्थानीय जनता का समर्थन होने के बावजूद, उनकी उपेक्षा की गई, जो पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित होगा।
दरभंगा शहर में बद्री पूर्वे की मज़बूत पकड़ मानी जाती है। स्थानीय सामाजिक समूहों और युवा कार्यकर्ताओं के बीच उनकी लोकप्रियता है। उनके इस्तीफे से वीआईपी को सीधा नुकसान हो सकता है। अगर वह निर्दलीय या किसी अन्य पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ते हैं, तो इससे सीट का पूरा चुनावी समीकरण बदल सकता है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर पूर्वे महागठबंधन के किसी दल में शामिल होते हैं, तो इससे वीआईपी की मुश्किलें और बढ़ जाएँगी।
अपने बयान में, बद्री पूर्वे ने यह भी संकेत दिया कि वह जल्द ही महागठबंधन के किसी घटक दल में शामिल हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि वह अब अपनी नई राजनीतिक दिशा पर विचार कर रहे हैं और जनहित में भविष्य की रणनीति तय करेंगे। उन्होंने कहा, “हम जनता के बीच काम करते हैं; जनता हमारे साथ है। अब सही मंच पर जाकर उनकी आवाज़ बनने का समय आ गया है।”
चुनाव से पहले वीआईपी के लिए यह इस्तीफा एक बड़ा झटका है। बद्री पूर्वे पार्टी में वरिष्ठ नेता माने जाते थे और संगठन में उनकी अच्छी पकड़ थी। उनके इस्तीफे से पार्टी की विश्वसनीयता और कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर पड़ सकता है। अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज़ है कि बद्री पूर्वे आगे किस पार्टी में शामिल होंगे और वीआईपी इस संकट से कैसे उबरेगी।

