Bihar Election 2025 : Bihar Elections 2025 : बिहार में विधानसभा चुनाव की घोषणा में अभी कुछ समय है, लेकिन उससे पहले ही राजनीतिक सरगर्मी बाद गयी है। शुक्रवार को राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने पटना के मिलर ग्राउंड में एक जनसभा को संबोधित कर चुनावी बिगुल फूंका। इस दौरान सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले एनडीए के पास अच्छा मौका है, बशर्ते कोई ऐसा कदम न उठाया जाए जिससे उसे नुकसान हो।
पटना रैली में बोले कुशवाहा:
कुशवाहा शुक्रवार को राजधानी पटना में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के नेता और ‘बिहार के लेनिन’ जगदेव प्रसाद की पुण्यतिथि पर आयोजित एक रैली को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान कुशवाहा ने कहा कि “पिछले साल लोकसभा चुनाव में हमने अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन अगर कोई आत्मघाती कदम नहीं उठाया गया होता, तो और बेहतर परिणाम मिल सकते थे। विधानसभा चुनाव में भी शानदार प्रदर्शन की उम्मीद है, लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि इस बार कोई आत्मघाती कदम न उठाया जाए।”
तेजस्वी यादव पर कसा तंज:
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ पर व्यंग्य करते हुए उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि इस यात्रा की सफलता का जश्न उन्होंने कुछ नजदीकी साथियों और परिवार के बीच ही मना लिया। उन्होंने तंज कसा कि गंगा किनारे नाचने से सफलता सुनिश्चित नहीं होती, वरना देश का सबसे बड़ा नर्तक ही प्रधानमंत्री बन गया होता।
जदयू पर भी साधा निशाना:
इस दौरान उन्होंने परोक्ष रूप से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू पर कटाक्ष किया और कहा कि किसी भी दल का नेतृत्व उसी की राजनीतिक परंपरा और विरासत से आगे आना चाहिए। इशारा नीतीश कुमार के बेटे निशांत की ओर था। नाम लिए बिना उपेन्द्र कुशवाहा ने टिप्पणी की कि जब ऐसा नहीं होता, तो अंजाम वही होता है जो कभी मजबूत रही संयुक्त समाजवादी पार्टी के साथ देखने को मिला।
2024 की हार पर निशाना:
गौरतलब है कि आत्मघाती कदम वाली टिप्पणी का संदर्भ 2024 के लोकसभा चुनाव में काराकाट सीट से कुशवाहा की हार से जुड़ा है। 2014 में इस सीट से जीतने वाले कुशवाहा 2024 के लोकसभा चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे। बाद में, कुशवाहा ने आरोप लगाया था कि भोजपुरी अभिनेता पवन सिंह को पश्चिम बंगाल से भाजपा का टिकट नहीं मिलने पर, भाजपा की बिहार इकाई के कुछ नेताओं ने पवन सिंह को काराकाट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने में मदद की। उस सीट से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के उम्मीदवार राजा राम कुशवाहा जीते। हालाँकि, चुनाव के बाद, उपेंद्र कुशवाहा को भाजपा कोटे से राज्यसभा भेज दिया गया।
मोलभाव की ताकत मजबूत करना चाहते हैं कुशवाहा:
2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू, रालोद और एनडीए साथ मिलकर लड़ रहे हैं, लेकिन अभी तक सीटों का बंटवारा नहीं हो पाया है। ऐसे में उपेंद्र कुशवाहा इन दिनों लगातार रैलियां कर अपनी राजनीतिक जमीन के साथ-साथ मोलभाव की ताकत भी मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। पटना रैली में कुशवाहा ने संसदीय क्षेत्रों के परिसीमन की माँग दोहराते हुए कहा, “यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। अगर परिसीमन सही ढंग से हो जाए, तो बिहार को बहुत फ़ायदा होगा। जनसंख्या के हिसाब से राज्य को मौजूदा 40 की बजाय 60 लोकसभा सीटें मिलनी चाहिए।”
जगदेव प्रसाद के शहादत दिवस पर हुई रैली:
यह रैली जगदेव प्रसाद के शहादत दिवस पर हुई, जिससे इसे बिहार के कुशवाहा समाज को एक बड़ा संदेश देने की कोशिश माना जा रहा है। 5 सितंबर बिहार में शोषितों और उत्पीड़ितों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने वाले कुशवाहा नेता शहीद जगदेव प्रसाद का शहादत दिवस है। ‘बिहार के लेनिन’ कहे जाने वाले जगदेव प्रसाद कुशवाहा सामाजिक न्याय के एक महान नेता माने जाते हैं।
बिहार की राजनीति में सवर्ण वर्चस्व को चुनौती देने के उद्देश्य से दलित और पिछड़े नेताओं ने मिलकर एक नई राजनीतिक धारा शुरू की, जिसे ‘त्रिवेणी राजनीति’ कहा गया। इस रणनीति के तहत, तीन प्रमुख ओबीसी जातियों, यादव, कुर्मी और कोइरी, को एकजुट करके एक मज़बूत सामाजिक-राजनीतिक गठबंधन बनाया गया, जिसने राज्य की सत्ता संरचना को एक नया आयाम दिया। विदित हो कि 5 सितंबर 1974 को शोषित वर्गों के अधिकारों के लिए एक आंदोलन के दौरान हुई पुलिस फायरिंग में गोली लगने से जगदेव प्रसाद की मौत हो गई थी।

